
होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और सकारात्मक बदलाव लाने का पर्व है। आज, जब समाज विभिन्न वैचारिक मतभेदों और राजनीतिक खींचतान से गुजर रहा है, हमें इस पावन अवसर पर भाईचारे, लोकतांत्रिक मूल्यों और सर्वधर्म समभाव को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए।
आइए, इस बार होली को सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण का एक संदेश बनाएं। सभी जाति, धर्म, वर्ग और विचारधाराओं से ऊपर उठकर, ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को अपनाएं। रंगों की तरह समाज में भी विविधता को स्वीकार करें और उसे अपनी शक्ति बनाएं। होली के रंग : समानता, सद्भाव और विकास के संग!
Views: 0

Previous Post
Next Post