दिल्ली: केवल राजधानी नहीं, लोकतंत्र, संघर्ष और समाज का राष्ट्रीय संगम
प्रस्तावना दिल्ली — यह केवल भारत की राजधानी नहीं है। यह सत्ता, समाज और संविधान के बीच होने वाले संघर्ष,...
प्रस्तावना दिल्ली — यह केवल भारत की राजधानी नहीं है। यह सत्ता, समाज और संविधान के बीच होने वाले संघर्ष,...
The New Quit India: Freedom’s Unfinished Journey Bombay, August 9, 1942. The streets trembled with the footsteps of history. The...
जय हिन्द ! लोकतंत्र का जीवंत रहना अब एक नैतिक आवश्यकता है। हमारे समय का सबसे बड़ा सवाल: क्या भारत में लोकतंत्र सत्ता का उपकरण भर बनकर रह गया है?
“भारत की आत्मा उसकी मेहनतकश जनता में बसती है — लेकिन जब यही मेहनतकश असुरक्षित, अदृश्य और असम्मानित हो जाए, तो राष्ट्र की आत्मा घायल हो जाती है।”
At a time when India’s democratic fabric is fraying under the strain...
जब भी भारत के विकास की बात होती है, तो जीडीपी, डिजिटल इंडिया, बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटीज़ जैसे शब्द चर्चा में छा जाते हैं।
#5जून को पूरी दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस मनाती है।पर क्या यह दिन केवल एक औपचारिकता बनकर रह गया है ?क्या सिर्फ एक पौधा लगाना ही हमारे कर्..
इतिहास को यदि केवल तिथियों और वंशावलियों तक सीमित कर दिया जाए, तो वह नीरस वृत्तांत बनकर रह जाता है।
A Call for Political Renaissance Rooted in the Constitution, Inclusion, and Ethical Leadership
“India is an old country, but a young nation. And like the young everywhere, we are impatient. I am young, and I too have a dream.” — Rajiv Gandhi
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